बिहुला
बिहुला
बिहुला या 'बेहुला' या 'सती बिहुला' मध्यकालीन बांग्ला साहित्य में 'मानस मंगल' एवं इसी प्रकार की कई अन्य काव्य कृतियों की नायिका है। बिहुला की लोकगाथा करुण रस से परिपूर्ण है। 13वीं से 18वीं शती की अवधि में इसकी कथा पर आधारिक बहुत-सी रचनाएं की गयी थीं। इन कृतियों का धार्मिक उद्देश्य मनसा देवी की महत्ता का प्रतिपादन करना था, किन्तु ये कृतियाँ बिहुला एवं उसके पति बाला लखन्दर के पवित्र प्रेम के लिये अधिक जानी जाती हैं।
नारी के उत्सर्ग की कथा
बिहुला की कथा प्राचीन भारत के षोडश जनपदों में से एक अंगदेश[1] की राजधानी चंपा[2] की है। महाभारत के समय यहाँ के राजा कर्ण हुआ करते थे, ऐसा माना जाता है। सती बिहुला की कथा भोजपुरी भाषी क्षेत्र में एक गीतकथा के रूप में गाई जाती है। सामान्यत: यह निचली जातियों की कथा के रूप में प्रचलित हुआ करती थी, परन्तु अब यह जाति की सीमाओं को लाँघ कर सर्वप्रिय कथा के रूप में स्थापित है और अब यह नारी मात्र के उत्सर्ग के अभूतपूर्व प्रतिमान के उद्धरण की कथा के रूप में जानी जाती है, क्योंकि कहानी के अनुसार अपनी कठोर तपस्या से सती बेहुला ने अपने पति को जीवित कर दिखाया था।
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