यम द्वितीया

यम द्वितीया  

यम द्वितीया
यमुना स्नान, विश्राम घाट मथुरा
अन्य नामभैया दूज, भाई दूज, भातृ द्वितीया
अनुयायीहिंदू, भारतीय
उद्देश्यभाई की दीर्घायु के लिए
प्रारम्भपौराणिक काल
तिथिकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया
अन्य जानकारीइस दिन प्रातःकाल चंद्र-दर्शन की परंपरा है और जिसके लिए भी संभव होता है वो यमुना नदी के जल में स्नान करते हैं।

यम द्वितीया कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथिको मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का एक त्योहार है जिसे भैया दूज भी कहते हैं। भैया दूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। कार्तिक सुदी दौज को मथुरा के विश्राम घाट पर भाई–बहन हाथ पकड़कर एक साथ स्नान करते हैं। यह ब्रज का बहुत बड़ा पर्व है। यम की बहन यमुना है और विश्वास है कि आज के दिन जो भाई–बहन यमुना में स्नान करते हैं, यम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यहाँ यमुना स्नान के लिए लाखों में दूर–दूर से श्रृद्धालु आते हैं और विश्राम घाट पर स्नान कर पूजा आर्चना करते हैं। बहनें भाई को रोली का टीका भी करती हैं। यम द्वितीया का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि को मानाया जाता है। इस त्योहार के प्रति भाई बहनों में काफ़ी उत्सुकता रहती है और वे इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। इस दिन भाई-बहन सुबह सवेरे स्नान करके नये वस्त्र धारण करते हैं। बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस चौक पर भाई को बैठा कर बहनें उनके हाथों की पूजा करती हैं।

चन्द्रदर्शन और यमुना स्नान

इस दिन प्रातःकाल चंद्र-दर्शन की परंपरा है और जिसके लिए भी संभव होता है वो यमुना नदी के जल में स्नान करते हैं। स्नानादि से निवृत्त होकर दोपहर में बहन के घर जाकर वस्त्र और द्रव्य आदि द्वारा बहन का सम्मान किया जाता है और वहीं भोजन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से कल्याण या समृद्धि प्राप्त होती है। बदलते हुए समय को देखें तो यह व्यस्त जीवन में दो परिवारों को मिलने और साथ समय बिताने का सर्वोत्तम उपाय है। ऐसा कहा गया है कि यदि अपनी सगी बहन न हो तो पिता के भाई की कन्या, मामा की पुत्री, मौसी अथवा बुआ की बेटी – ये भी बहन के समान हैं, इनके हाथ का बना भोजन करें। जो पुरुष यम द्वितीया को बहन के हाथ का भोजन करता है, उसे धन, आयुष्य, धर्म, अर्थ और अपरिमित सुख की प्राप्ति होती है। यम द्वितीय के दिन सायंकाल घर में बत्ती जलाने से पूर्व, घर के बाहर चार बत्तियों से युक्त दीपक जलाकर दीप-दान करने का नियम भी है।

बाहरी कड़ियाँ

Comments

Popular posts from this blog

विश्वामित्र और मेनका की प्रेम कहानी

पंचकन्या

तपती